Sunday, 14 July 2019

कुछ करना चाहिए

जो ग़लत में ग़लत कर रहे हैं उन्हीं का ज़माना है. यह ज़मीन उन्हीं के लिए स्वर्ग बनी हुई है. इसलिए मैंने आप लोगों के पवित्र ईश्वर से कह दिया है कि आप खामखां रजिस्टर की बर्बादी न करें. क्यों कलम घिस कर पाँच यह दस रुपए की बर्बादी कर रहे हैं? क्यों अपना समय और उर्जा ख़राब कर रहे हैं. कुछ होने से तो रहा. सब पापी यहीं सुख का बेतरह मज़ा ले रहे हैं और जो सही रास्ते पर जाने की जिद्द लेकर बैठे हैं वही लोग इस ज़िन्दगी से हाथ धो रहे हैं या फिर दर्द उठा रहे हैं जिस दर्द को ईश्वर भी सहन करे तो लगभग मर जाए.

आप लोगों को नहीं लगता कि इश्वर की अवधारणा के चलते हमने अपने सच्चे ईश्वर की पनाह इस पृथ्वी को लगभग खो दिया है. बर्बादी के कगार पर पहुंचे हुए हाथ अगर सुरक्षा की याचना करेंगे भी तो कुछ हासिल नहीं होगा. अपनी सब बातों को भूलकर क्या इस पृथ्वी को बचाने का शुरू नहीं किया जा सकता? अभी भी बहुत देर नहीं हुई है.

बाक़ी मन नहीं कर रहा लिखने का!





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