बहुतों को नहीं मालूम कि अस्पताल में मरीज़ के साथ रात बिताना दोनों के लिए कितना परेशानी भरा होता है। मरीज़ जिसका ताज़ा ताज़ा ऑपरेशन हुआ है, उसे कुछ पता ही नहीं होता कि आईसीयू या OT ( ऑपरेशन थिएटर) के बाहर सबसे क़रीबी रिश्ते वाले व्यक्ति का क्या हाल हो रहा है। वह सुइयों और दवाइयों के नशे में बिस्तर पर बेहोशी कि हालत में पड़ा रहता है। हाँ, उसे इस बात का भान तो रहता है कि बाहर उसकी बेटी या बच्चे रो रहे हैं। अगर बच्चा दाखिल हो तो बाहर खड़े लोग इस खौफ़ में रहते हैं कि कोई डॉक्टर निकल कर यह न कह दे कि माफ कीजिये, हम बचा नहीं सके। कई बार अस्पताल वाले यह भी कह देते हैं कि हम कुछ नहीं कर सकते। इसे दूसरे अस्पताल में ले जाओ।
दूसरे अस्पताल ले जाने के लिए तो एम्ब्युलेन्स की जरूरत होती है। बहुत झंझट देते हैं ये सब लोग। लेकिन जब रास्ते पर आते हैं चलाने के मामले में तब ये दुनिया के सबसे बड़े श्रद्धेय बन जाते हैं। तब आपको सड़कों पर खड़ी लाल बत्तियों पर गुस्सा आता है। ट्रेफिक पर गुस्सा आता है। गाड़ीवालों पर गुस्सा आता है। आपके मन में डर होता है कि कहीं रास्ते में कुछ हो न जाये।
बहुतों को यह भी नहीं मालूम होगा कि अस्पताल में रात का पता नहीं चलता। हाँ समय के घंटों का अहसास तो रहता है कि इतने बजे तक सर्जरी होगी। हे ईश्वर सब ठीक हो। कुछ हो न जाये। सबसे क़रीबी रिश्तेदार को न भूख लगती है न प्यास। वह बैठती तक नहीं। डॉक्टर बाहर निकल कर कोई दवा मंगाये तो भागी हुई केमिस्ट पर ऐसी पहुँचती है जैसे धावा बोल दिया हो।
बहुतों ने अपने बच्चे का मरना भी नहीं देखा होगा। बहुत धक्का लगता है। ऐसा लगता है धरती फटे और समा जाएँ। ऐसे लगता है जैसे किसी ने अचानक से जान खींच ली हो। बच्चे के मरे शरीर को देखकर ही दम निकल जाता है। आप गिर जाते हो। आपको लगता है जीना बेकार है। आप भगवान से कहते हो। बार बार कहते हो-'मुझे भी उठा ले। मैं जीना नहीं चाहती।'
लोग कहते हैं आत्मा दिखती नहीं। लेकिन जिस बच्चे की आप चड्डी धोकर साफ करते हो, जिसमें अपनी जान फूँक देते हो। उसमें से आत्मा अचानक निकल जाती है। उस बच्चे से जो आपके शरीर का टुकड़ा होता है। बच्चे के शरीर में बस कंपन होती है। वही आत्मा निकलती है तब। मैंने बहुत करीब से अपने बच्चे को जाते हुए देखा है। बहुत तकलीफ होती है जो बताई ही नहीं जा सकती।
योगी-मोदी जी आपको कैसे बताया जाये कि आपका अपना बच्चा मर रहा होता है आपकी आँखों के सामने तब आप दुनिया के सबसे बेबस माँ बाप होते हैं। बच्चे का इलाज़ करता हुआ डॉक्टर भी उसकी जान जाने के बाद दुख से आँखें बंद कर लेता है। आप जाइये न कभी बच्चों के अस्पताल। बच्चों के माँ बाप से मिलिये। देखिये वहाँ का हाल। आप कभी मन की बात नहीं कर पाएंगे।
आपमें नैतिकता है तो इस्तीफ़ा दे दीजिये।
No comments:
Post a Comment