जब मेरे लैपटाप का हिन्दी कुंजीपटल
काम नहीं करता तब मेरी बेचैनी बढ़ जाती है। अभी किसी तरह से जुगत लगाई है जिससे हिन्दी
छाप पा रही हूँ।
बात अहम जो दिमाग में बिजली
की तरह आ जा रही है वो यह कि दो रोज़ से प्रभात कुमार मुखोपाध्य की लिखी बेहतरीन कहानी
‘द प्राइज़ ऑफ फ्लावर्स’ रह-रह कर याद आ रही है। कक्षा बाहरवीं में इस कहानी
को अंग्रेज़ी की मैम ने तीन रोज़ में पढ़ाकर पूरा करवाया था।
बहुत गजब अंग्रेज़ी पढ़ाने वाली
शिक्षिका थीं। (होंगी भी) गजब का नियंत्रण था इस भाषा पर और हम हिन्दी माध्यम के बच्चों
पर। कहानी या पाठ जितना भी लंबा हो वो एक पंक्ति तक स्किप नहीं करती थीं। बहुत ही सुर
और आक्रामक दोनों तरह की शैली में पढ़ती-पढ़ाती थीं। साथ ही साथ अंग्रेज़ी शब्दों का अर्थ
भी बताती जाती थीं, उदाहरण के साथ। यदि अगले दिन अर्थ हमारी ज़ुबान में
नहीं बैठा पाया तो कोसाई भी भरपूर किया करती थीं।
ऐसे ही जब हम अगले पायदान यानि
बारहवीं में कूदे तब यह कहानी शायद पहले पाठ के रूप में किताब में दर्ज़ थी। कहानी की
मुख्य किरदार मैगी मुझे आज भी भुलाए नहीं भूलती। न ही मैं मैगी जैसी चरित्र को भूलने
का पाप सिर माथे लेना चाहती हूँ। उसका पूरा नाम एलिस मारग्रेट क्लिफोर्ड है। प्यार
से उसे मैगी कहा जाता है। हुआ यह था कि अपने भारत के लेखक गुप्ता जी इंग्लंड घूमने
गए थे वहीं यह लड़की उनसे टकरा जाती है। उसे जब यह मालूम चलता है कि लेखक भारतवर्ष से
ताल्लुक रखते हैं तब वह रोमांचित हो जाती है। उनसे भारत के संदर्भ में कई सवाल पूछती
है। उसे भारत के संपेरों और भविष्य बताने वाले जोगियों-योगियों में हैरतअंगेज दिलचस्पी
भी है। लेखक जहां तक हो इस लड़की के सवालों को जवाब भी देता है।
फोटो गूगल से प्राप्त
लेखक की आँखों में आँसू आ जाते
हैं और मेरे भी। मैं घर आकर भी बहुत रोई थी। उस वक़्त मुझे रोने में ज़्यादा मशक्कत नहीं
करनी पड़ती थी। आज भी जब उस कहानी के पेज पलटती हूँ तब यह लगता है कि मैं भी मैगी के
संग बैठकर खूब रोना शुरू कर दूँ। अगर कृष्ण सुनते मेरी तो मैं यही मांग लेती कि मैगी
के भाई को सही सलामत वापस भेज दो। उन्हें उसकी जरूरत है।
तब से एक बात दिमाग में घुस
गई कि यह सब लड़ाई-झगड़ा-युद्ध-वॉर अच्छा नहीं होता। जो जीत जाता है वो भी हारता है जो
हारता है वो भी हार ही जाता है। इसलिए जब भी किसी के मुंह से पाकिस्तान को सबक़ सिखाने
की बात सुनती हूँ तब मुझे घबराहट होती है कि बहुत से नौजवान लोग मारे जाएँगे। मुझे
खून बर्दाश्त नहीं। झगड़ा किसी भी बात का हल नहीं है। मैगी की कहानी से मैंने यही जाना।
अंग्रेज़ी की मैम मुझे कहीं
आज दिखाई दे गईं तब मैं भागकर उनका हाथ चूम लूँगी कि हिन्दी माध्यम के बच्चों को इस
तरह पढ़ाया कि यह पाठ हमारी ज़िंदगी में घोल दिया। हर सरकारी शिक्षक आलसी नहीं होता।
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